Saturday, July 27, 2013

माल और भारतीय राजनीती

माल तो माल होता है .... चाहे जो भी हो जाये लेकिन माल की अहमियत कम नही होती है ... चाहे वा गोदाम मे पड़ा हुआ माल हो या ... अरब सागर मे दफन ओसामा माल हो या फिर पड़ोसी देश से आयातित कसब माल हो |
अपने दिग्गी जी जब भी बोलते है तो वह खुद ब खुद तथ्यों पर आधारित हो जाता है | चाहे वा करकरे जी का मामला हो या फिर ओसामाजी वाला.... लोग बेवजह हल्ला करने लग जाते हैं | अब कल की ही बात है ... बातला हाऊस वाला माल खराब हो गया ... हो सकता है 'जहां' वाला माल भी सड- गल जाये | बब्बर जी के   १२ रु. वाले माल को मसूद साहब के ५ र. वाले माल ने ख़राब कर दिया तो मसूद के 'माल' को गोल्फर अब्दुल्ला के माल ने ....... इसीलिये आज दिग्गी बाबु  100 प्रतिशत टंच माल वाला मामला  ढूंढ लिया ... जो निकट भविष्य मे खराब नही होने वाला .... आशा है 2014 तक और भी कई 'माल' के दर्शन होंगे ..... अफसोस इसमे से कोई कम्य्युनल नही होगा |

सस्ती का आया जमाना

भारत मे मूर्खों की कमी नही है। बेवजह महंगाई को लेकर छाती पीटते रहते हैं। छाती पीटने से पहले बब्बर शेर और मसूर दाल वाले नेता जी से मिल लिये होते...

मुम्बई मे बारह रुपये मे खाना और दिल्ली मे 5 रुपये मे खाना... और खाने मे क्या-क्या मिलेगा वह भी बता दिया बब्बर शेर ने। कल तक हम भी महंगाई से बड़े परेशान थे... 35 रुपए का आधा गोभी का फूल लेकर घर जाते थे। बीवी की झिड़की भी साथ में... अब दिल बल्ले-बल्ले कर रहा है ... सोचता हूं कि अब दिल्ली मे बस जाऊं। घर मे दो प्राणी हैं हम ... 20 रुपए मे दोनों का दो समय का भोजन ...... और फिर अमीर लोगों की श्रेणी मे भी आने से बच जाएंगे... बीपीएल कार्ड भी बनवा लेंगे।

यथार्थ मे हमे ऐसे ही नेताओं की आवश्यकता है... जो हमारे लाभ के लिए जरूर सूचनाएं हम तक पहुँचाएं... जय हो बब्बर शेर की..