Tuesday, October 26, 2010

राजनीति में पत्थरबाज

पत्थरबाजो से सिर्फ कश्मीरी परेशान नहीं हैं वरन "बिहार" जनता भी "पत्थरबाजों" को झेल रही है |बस फर्क इतना है कि "बिहार" में पत्थर फेकने वाले देश के "पूजनीय" नेता है "माता रोम", "युवराज गाँधी" ," कोमनवेल्थ गेम दीक्षित" और मनमोहन जी कुछ ऐसा ही कर रहे हैं बिहार के चुनाव प्रचार में .........HIT and RUN का रवैय्या अपनाये हुए... हैं|बेहतर होगा कि "खानदान पार्टी" के नेता सब वहाँ रुक कर दूसरे दल वालों से सीधी बहस कर ले

मौलिक अधिकार

भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है ..बशर्ते आपकी अभिव्यक्ति "सेकुलर" हो

राजनीति में अपशब्द

राजनीति में "अपशब्दों" का प्रयोग करना कांग्रेस का विशेषाधिकार है .........यदि दूसरे दलों के नेता ऐसा करें (विशेषकर कांग्रेस की राजमाता और युवराज के खिलाफ) तो फिर मनीष तिवारी, दिग्विजय सिंह जैसे कंग्रेस्सी महारथी तलवार भांजना शुरू कर देते है..............

Saturday, January 9, 2010

सतत प्रेम की अनंत गाथा

सतत प्रेम की अनंत गाथा

जिसका न कोई आदि,

ना कोई अंत |

मानो तो सच है

नहीं तो मनगढ़ंत ||


कोशिश थी ना हो इसका आदि,

अगर न होता आदि

न ही होता अंत |

और न ही झेलना पड़ता NIOH वालों को,

मुझ जैसे अनाड़ी कविओं को जीवन पर्यंत ||


लम्बी लम्बी हांकना करते हैं अब बंद,

यहीं होता है अनंत गाथा की तुच्छ भूमिका का अंत ||


आरम्भ करूँ कहाँ से?

धुंधली झिलमिल से, या

भावनाओ के समंदर किनारे

पड़ी रेत की तस्वीर बेजान से ||


प्रेम तो प्रेम होता है,

प्रेम होता है शुद्ध अंतःकरण से

न कि छोटा कद, बढती उम्र,

लम्बे नाक कान से |||


रही बात NIOH की तो

एडमिशन के साथ बना लो "pair" |

"Pair" के बिना नहीं होता यहाँ,

लडको का "character"......"Fair" ||


यदि न हो "pair"

"Library" में बगल वाली खाली रह जाये "Chair"

तो समझ लो भैया ...

"Course" खत्म होने पर "character certificate" लेके,

घूमना होगा "totally Unfair" ||


जो दूरदर्शी थे उन्होंने

Fresher के दिन से ही,

"Pair" वाला "Alumni" बनने का सोच लिया|

मन भंवरा परिवीक्षाधीन फूलों के पीछे,

डोलने का मन बना लिया ||


हर “Friday” …. Good Friday होता

Saturday, Sunday के Programme लिए

Batch mate के अतुलित विचारों का जाम चलता|


कुछ ईर्ष्यालु होते हैं आस-पास

दिल दिमाग का ना देता साथ|

ईर्ष्यालु की ईर्ष्या भी होती है जेन्युन

सुन्दर सुशील वर्ण के बावजूद भी,

नहीं मिल पाती है ट्यून ||


दिल भयंकर काम पर लग गया,

वेलेंटाईन दे का शुभ मुहूर्त निकाल ||

प्रपोजल रिजेक्ट भी हुआ तो कुछ नहीं,

दूसरी पर ट्राय करेंगे

नहीं रहेगा इसका मलाल ||


कभी वॉलेट लेकर

चाईनीज चटपटा रोड छाप व्यंजन खिलाने को

तो कभी मचल उठते देने को

आर्चिज का कार्ड,

बिना किसी खास अवसर||


कार्ड, पार्टी, पार्क के चक्कर में,

घर से साल में ४ बार “Annual fees” मँगा लिया |

चलो कोई बात नहीं

बात बन गई तो,

समझो सब कुछ ब्याज समेत

फिर से पा लिया ||


मामला फिट हो गया

तो दोनों हाथ में लड्डू

फ्री काल वाले फोन से

बनाते रहेंगे एक दूसरे को बुद्धू ||


फोन पर बात करते देख

बगुला भगत सोचते यही ,

दोनों के बीच हो रही है बातें मीठी-मीठी ||


मीठी-मीठी बातों की कल्पना,

वास्तविकता से मेल खाती नहीं |

जो बातें होती है मीठी,

सर्वथा मीठी होती नहीं |

कभी-कभी डेढ़ रूपये की चाय में

चीनी होता नहीं||


रोज रोज कोई नयी टोपिक मिले

तभी कोई मीठी बात हो|

ऐसे में कड़वी चाय की बात कर

चीनी कम में मीठेपन का,

खुद को एहसास दिला दो ||


चीनी कम की बात चली तो

बताता चलूँ

इस तरह के फिल्मों का आजकल

रिलीज होना आम हो गया,

बुजुर्गियत का प्रेम से मिलन सरे आम हो गया ||


बुजुर्गियत का अर्थ बढती उम्र से न निकालें

NIOH की बात करें तो

सेकेंड ईयर से ही होने लगते हैं लोग बूढ़े |

Internship तक कब्र में चले जाते हैं पुरे ||


शुक्र हैं जोगर्स पार्क जैसे फिल्मो का

अब तो स्कोप खुल गया,

कब्र में पैर लटकाए बूढों का|

यदि हालात यही रहे तो

समझो लो.........

दिन लद जायेगा जवानों का “ ||